ghazal se meri pehli mulakat
ज़िन्दगी से समझौता नही होता
ऐसे में कोई करिश्मा नही होता
दूरियां हैं क्यू रही ज़िन्दगी से
क्यूँ कम ये फासला नही होता
चलते तो बहुत हैं इस राह
पर हर कोई खुदा नहीं होता
हर वक्त बना है ख्याल वो
मुझ से क्यूँ वो जुदा नहीं होता
ज़िन्दगी खुद आए तेरे पास
मगर ऐसा सदा नहीं होता
शमशान मे जा रही हो भीड़
मगर वो काफिला नहीं होता
तनहाई है मेरे आस पास
लोगो का काफिला नही होता
रो रो ज़िन्दगी जीओ अपनी
ऐसे मज़ा मज़ा नहीं होता
चलते तो बहुत हैं इस राह
पर हर कोई खुदा नहीं होता
हर वक्त बना है ख्याल वो
मुझ से क्यूँ वो जुदा नहीं होता
ज़िन्दगी खुद आए तेरे पास
मगर ऐसा सदा नहीं होता
शमशान मे जा रही हो भीड़
मगर वो काफिला नहीं होता
तनहाई है मेरे आस पास
लोगो का काफिला नही होता
रो रो ज़िन्दगी जीओ अपनी
ऐसे मज़ा मज़ा नहीं होता
Wah wah bhai waw
ReplyDeletedhanyavaad
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