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माँ जिसकी कोई परिभाषा नही होती जो शायद क्या , सच ही प्रेम से भी प्यार होने की बात हे माँ जहा रूहों की रूहों से बात होती है वहा माँ का ज़िर्क आता है माँ क्या है माँ है हृदयों की गहराइयाँ जहां डूब आदमी प्रेम हो जाता है फिर वही ध्यान की बातें होती हैं और फिर वही ध्यान हो जाता हैं